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Scam

IMA पोंजी घोटाला का मास्टर माईन्ड मंसूर खान गिरफ्तार

बता दें कि बेंगलुरु के चर्चित आईएमए पोंजी घोटाले का फरार मुख्य आरोपी मंसूर खान है। मंसूर खान पर अरबों रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है।

 

नई दिल्ली

आईएमए पोंजी घोटाले का आरोपी और आईएमए फाउंडर मंसूर खान (Mansoor Khan) को ईडी (ED) ने शुक्रवार सुबह दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया है ।

न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, मंसूर खान को गिरफ्तार करने के बाद ईडी उसे एमटीएनएल बिल्डिंग में स्थित अपने कार्यालय लेकर गई है, जहां पर उससे पूछताछ की जाएगी।

बता दें कि बेंगलुरु के चर्चित आईएमए पोंजी घोटाले का फरार मुख्य आरोपी मंसूर खान है। मंसूर खान पर अरबों रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है।

आईएमए ने अपनी स्कीम में 14 से 18 फीसदी के भारी रिटर्न का लालच देकर हजारों निवेशक को धोखा दिया था, जिसके बाद करीब 25 हजार लोगों ने धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी।

पुलिस ने आईएमए जयनगर के दफ्तर में और मंसूर खान के घर में छापा मारा था। जिसमें करोड़ों रुपये की ज्वैलरी और दस्तावेज जब्त किए थे।

बता दें कि इस्लामिक बैंक के नाम पर करीब 30 हजार मुस्लिमों के साथ धोखाधड़ी करने वाले मोहम्‍मद मंसूर खान ने 1700 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला किया है.

आईएमए के खिलाफ अब तक 38 हजार निवेशक शिकायत दर्ज करा चुके हैं. बताया जाता है कि हाईकोर्ट में अबतक 18 याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं. कंपनी में निवेश करने वालों में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु के भी बड़ी संख्या में लोग शामिल हैं.

मंसूर ने 2006 में आई मॉनेटरी एडवाइजरी (IMA) के नाम से एक कंपनी बनाई. जिसमें उसने इनवेस्टर्स को बताया कि यह संस्था बुलियन में निवेश करेगी और निवेशकों को 7-8 प्रतिशत रिटर्न देगी. लेकिन इस्लाम में ब्याज से मिली रकम को इस्लाम विरोधी माना जाता है. इसलिए उसने धर्म का कार्ड खेलते हुए निवेशकों को ‘बिजनेस पार्टनर’ का दर्ज दिया.

आईएमए में पांच लाख रुपये लगा चुके एक शक्श  ने बताया कि मंसूर खान ने मुसलमानों को धार्मिक भावनाओं के जरिए फंसाने का हथकंडा अपनाया. हालांकि, उसके इस फ्रॉड का अंदाजा साल 2017 से ही निवेशकों को होने लगा था, जब लोगों का रिटर्न गिरकर पहले 9 से 5 फीसदी तक आया और फिर 2018 आते-आते सिर्फ 3 फीसदी रह गया.

इस साल फरवरी में रिटर्न घटकर मात्र 1 फीसदी रह गया. लेकिन तगड़ा झटका तो निवेशकों को मई में लगा जब एक फीसदी रिटर्न भी खत्म हो गया. इसके बाद लोगों का सब्र का बांध टूट गया और अपनी पूंजी वापस लेने की मांग की.

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